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Motivational Shayari प्रेरणादायक हिन्दी शायरी



कुछ न सूझे तो मुस्कारा के यूँ; हौसला अफसाई ही कर दे, तादाद ही बढ़ा !जश्न में शरीक न हो न सही,मगर कमबख्त,कम स कम, ताली तो बजा !

उम्र भर बचा किये तूफ़ान सेनाखुदा ही कश्तियाँ डुबा गएख़ुदकुशी से डर रहा था मैं ज़रादोस्त मेरे हौसला दिला गएखुद से छुप रहा था मैं, तो आप क्यों?हाथ में ये आइना थमा गए


ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढताअपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ हैक्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल


तमाम उम्र, अज़ाबों का सिलसिला तो रहाये कम नहीं, हमें जीने का हौसला तो रहागुज़र ही आए किसी तरह तेरे दीवानेक़दम-क़दम पे कोई सख़्त मरहला तो रहा


तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना रो चुका हूँ मैं कि तू मिल भी अगर जाये तो अब मिलने का ग़म होगा समन्दर की ग़लतफ़हमी से कोई पूछ तो लेता ,ज़मीं का हौसला क्या ऐसे तूफ़ानों से कम होगा मोहब्बत नापने का कोई पैमाना नहीं होता ,कहीं तू बढ़ भी सकता है, कहीं तू मुझ से कम होगा


कौन सीरत पे ध्यान देता हैआईना जब बयान देता हैमेरा किरदार इस ज़माने मेंबारहा इम्तिहान देता हैपंख अपनी ज़गह पे वाजिब हैहौसला भी उड़ान देता है


हिम्मते-इल्तिजा नहीं बाक़ीज़ब्त का हौसला नहीं बाक़ीइस तिरी दीद छिन गयी मुझसेवरना दुनिया में क्या नहीं बाक़ी


किसी की मुस्कुराहट में झलकता है जो अपनापनउसी से हौसला पाकर उदासी मुस्कुराती है मुहब्बत करनेवालों से खफ़ा रहती है क्यों दुनियाबिना मतलब वो उनकी राह में कांटे बिछाती हैकिसी की आँख से घायल छलकते हैं जहाँ आँसूवहाँ के फूल में ख़ुशबू ख़ुदा के घर से आती है


उसने कहा अब किसका इंतज़ार है;मैंने कहा अब मोहब्बत बाकी है;उसने कहा तू तो कब का गुजर चूका है ‘मसरूर’;मैंने कहा अब भी मेरा हौसला बाकी है!


रिश्ते जताने लोग मेरे घर भी आयेंगे, फल आये है तो पेड़ पे पत्थर भी आयेंगे..जब चल पड़े हो सफ़र को तो फिर हौसला रखो, सहरा कहीं, कहीं पे समंदर भी आयेंगे..



ये आरज़ू थी फ़खत तेरी आरज़ू करते ये हौसला ही न था और जुस्तजू करते तुम्हे जो देखा तो इक चुप सी लग गयी हमको फिर ऐसे हाल में क्या तुमसे गुफ्तगू करते |


वो मायूसी के लम्हों में ज़रा भी हौसला देता !तो हम कागज़ की कश्ती पर समुन्दर में उतर जाते !!


कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी,यूँ कोई बेवफा नहीं होता।जी चाहता है बहुत कि सच बोलें,क्या करूँ हौसला नहीं होता।


इस दुनिया में आये है तो जिंदगी जीना हैजीने का मज़ा मुस्कराहट और हौसला हैहौसला है तो राहे है, राहे है तो मंजिल हैतेरे हौसले में प्रतिबिम्ब की दुआ शामिल है।


जीत ना मिले चाहे, हौसला बरकरार रहेप्यार ना मिले चाहे, ज़ज़्बा बरकरार रहेराह चाहे आसान ना हो, कदम बढते रहेअंधेरा बेसक राह छिपाये, चिराग जलते रहे


हालात के मारे हुए रोते भी हैं हँसते भी हैं ।तोड़े तो नही जा सके टूटे हुए लगते भी हैं । तूफ़ान सा उठता है गम तबाह करने को जहाँ , डरते भी हैं पर हौसला चट्टान सा रखते भी हैं ।


तू रख हौसला वो मंजर भी आएगा प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा थक हार के ना रुकना ऐ मंजिल के मुसाफिर मंज़िल भी मिलेगी मिलने का मज़ा भी आएगा


ज़िन्दगी से यही गिला है मुझेतू बहुत देर से मिला है मुझेहमसफ़र चाहिये हूज़ूम नहींइक मुसाफ़िर भी काफ़िला है मुझेतू मोहब्बत से कोई चाल तो चलहार जाने का हौसला है मुझे


तालीमें नहीं दी जाती परिंदों को उड़ानों की;वे खुद ही तय करते है, ऊंचाई आसमानों की;रखते है जो हौसला आसमान को छूने का;वो नही करते परवाह जमीन पे गिर जाने की।.



मेरा जूनून भी मैं हूँ, मेरा हौसला भी मैं हूँमेरा हमसफ़र भी मैं हूँ, मेरा रहनुमा भी मैं हूँनहीं गरज की मंजिल भी रूबरू हो मुझसेख़्वाबों का तख़्त-ओ-ताज है, जिसका खुदा भी मैं हूँ.



ये चाँद आसमान की सिर्फ मिट्टी नहीं हैबेदर्द निगाहों से उसका दीदार न करो ऐ मेरे गमे-दिल तू जीने का हौसला रखयूँ मौत की तमन्ना तूम सौ बार न करो


किस्मत में लिखी हर मुश्किल टल जाती है ,हो बुलन्द हौसले तो मंजिल मिल जाती है।सिर उठा कर जो आसमान को देखो ,गगन को छूने की प्रेरणा मि
ल जाती है।

एक हौसला ना जाने कब टूटाचोट तो नही पर जख्म हो गयाकुछ तो बदल गया है प्रतिबिम्बजो रुक गया है कारंवा एक तूफान से.


एक हौसला ना जाने कब टूटाचोट तो नही पर जख्म हो गयाकुछ तो बदल गया है प्रतिबिम्बजो रुक गया है कारंवा एक तूफान से.


पंख ही काफ़ी नहीं हैं आसमानों के लिए;हौसला भी चाहिए ऊंची उड़ानों के लिए।भीग जाती थी पलक सुनकर धुनें जिनकी कभी,आँख में पानी कहाँ अब उन तरानों के लिए।.























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