कुछ लोग समझाये नहीं समझ पाते,शायद वो लफ्ज़ पड़ते हे और हम जज़्बात लिखते हे।
मरता नहीं कोई किसी के बगैर ये हकीकत है ज़िन्दगी लेकिन सिर्फ सांस लेने को जीना तो नहीं कहते..
हँसना आता है मुझे ,,,,,मुझसे ग़म की बात नहीं होती मेरी बातों में मज़ाक होता है ,,,,मेरी हर बात मज़ाक नहीं होती
कोई ऐसा "सेनिटाइजर" भी बनाओ जिससे "मन" का "मैल" ओर "दिल" की "नफरत" भी धुल जाए
: कदर किया करो उनकी, जो तुम्हारे बुरे रवैये के बाद भी तुमसे अच्छे से बात करते है।
दूसरे को मार कर खाइये ये विकृति हैं , वो अपना खाये मैं अपना खाऊ ये प्रकृति हैं, लेकिन वो खा सके इसकी चिन्ता करके मैं खाऊ ये संस्कृति हैं ।
मेरी कश्मकश , मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बने रहो..!!
जो मैं किसी से न कह सकूँ वही किस्सा बने रहो॥
तुम जानती थी छोड़ दोगी एक दिन तुम मुझे , फिर ये उपकार तुमने पहले क्यूँ नही किया ?....!!!
वो है तो खूबसूरत लेकिन थोड़ी कमी है करती है इश्क बेशक हमसे बस वफ़ा की कमी है..
ना होता जो बोझ जि़म्मेदारी का मुझपर तुम्हारे पीछे तुम्हारी दुनिया मेँ तुम्हारे साथ होती ...! !
ऐसा नहीं की तेरे बाद "अहल-ए-करम" नहीं मिले, लोग तो कम नहीं मिले, बस लोगों से हम नहीं मिले....
: ख़्वाहिशों की कैदी हूँ मैं, मुझे हक़ीक़तें सज़ा देती है, आसान चीज़ों का शौक नहीं, मुझे मुश्किलें ही मज़ा देती है....!!
बड़े शौक से बनाया तुमने मेरे दिल मे अपना घर जब रहने की बारी आई तो तुमने ठिकाना बदल दिया
कभी ना कभी वो मेरे बारे में सोचेगी जरूर, कि हासिल होने की उम्मीद ना थी फिर भी मोहब्बत करता था…
*उम्मीद का लिबास तार तार ही सही पर सी लेना चाहिए..!!, कौन जाने कब किस्मत माँग ले इसको सर छुपाने के लिए..!!*
किस्मत की किताब तो खूब लिखी थी मेरी खुदा ने, बस वही पन्ना गुम था जिसमें मुहब्बत का जिक्र था।
बहुत सुकून मिलता है जब उनसे हमारी बात होती है, वो हजारो रातों में वो एक रात होती है, जब निगाहें उठा कर देखते हैं वो मेरी तरफ, तब वो ही पल मेरे लीये पूरी कायनात होती है।
परेशान करती कभी कभी तेरे चेहरे की सादगी...!! मुकम्मल गजल लिख दु तो भी कागज खाली नजर आता है...!!!
मुझे ख़ुद पर इतना तो यक़ीन है के रोयेगा वो सख़्श, मुझे वापस पाने के लिये!!
जरा सा तुम बदल जाते, जरा सा हम बदल जाते...!! तो मुमकिन था ये रिश्ते किसी साँचे में ढल जाते...!!
दरख्तों से रिश्तों का हुनर सीख लो मेरे दोस्त! जब जड़ों में ज़ख्म लगते हैं तो टहनियाँ भी सूख जाती हैं!
भुलाना और भूल जाना तो बस एक वहम है दिल का.. भला कौन निकालता है दिल से, किसी को एक बार बसाने के बाद.. ..मन..
निगाहें मिल जाती हे तो इश्क़ हो जाता हे, पलखे उठे तो इज़हार हो जाता हे, ना जाने क्या नशा हे मोहब्बत में, के कोई अनजान भी ज़िन्दगी का हक़दार बन जाता हे.
ख्वाबों से बाहर आते ही, तमन्नाएं भी बिखर गई... और ये बेबस जिंदगी तेरे दिए घावों से निखर गई..
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Reviewed by MIthlesh
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April 29, 2020
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