वो हमसफ़र कैसे थे जो सफ़र छोड़ गये, बिना कसूर प्यार का रिश्तां तोड़ गये, वो कभी हमे याद करते नही, और खुद की याद मे हमको तड़पता छोड़ गये. वफ़ा के नाम से वोह अनजान थे! किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे! हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला! हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे! कभी किसी मुसाफिर से प्यार ना करना उनका ठिकाना बोहत दूर होता हैं वो कभी बेवफा तो नही होते, मगर उनका जाना ज़रूर होता हैं. चाहते थे जिन्हे उनका दिल बदल गया समन्दर तो वही गहरा हे पर साहिल बदल गया कतल ऐसा हुआ किस्तो मे मेरा, कभी बदला खंजर तो कभी कातिल बदल गया. करके वादा प्यार का वो मुकर गया, एक छोटे से तूफान से वो कितना दूर चला गया, हमे नही पता ये कैसी मजबूरी थी उनकी, या फिर इस प्यारे खिलोने से दिल भर गया. तेरी बेवफ़ाई की हमे कोई फरियाद नही, क्या हुआ जो तू मुझे मिली नही, फिर भी हमारी यही दुआ है की, प्यार में, जो दर्द मिला है हमे, वो तुमको मिले नही. वो कितने बदल गये हे हालात की तरह, जब भी मिले वो हमे मुलाकात की तरह. हम भी क्या किसी के हुस्न का सौदा करते, ये ज़िंदगी भी मिली हे तो खैरत की तरह. साए ने साथ छोड़ दिया यार ने दिल तोड़ दिया, अब तो खुदा भी मेरे खिलाफ हो गया, जो प्यार का चिराग जलाया था मैने, उसी चिराग से जलकर मैं खाक हो गया किसी आशिक़ ने क्या खूब कहा है. खामोशी को इकतियार कर लेना. अपने दिल को बेकरार कर लेना. ज़िंदगी का असली दर्द लेना हो तो किसी से बेपनाह प्यार कर लेना समजते थे हम उनकी हर एक बात को, वो हर बार हमसे धोका देते थे, पर हम भी वक़्त के हातो मजबूर थे, जो हर बार उनको मौका देते थे. दिल टूटा तो एक आवाज आई! चीर के देखा तो कुछ चीज निकल आई! सोचा क्या होगा इस खली दिल में! लहू से धो कर देखा, तो तेरी तस्वीर निकल आई! पलकों में आँसू और दिल में दर्द सोया है, हँसने वालो को क्या पता रोने वाला किस कदर रोया है, ये तो बस वोही जान सकता है, मेरी तन्हाई का आलम, जिसने ज़िंदगी में, किसी को पाने से पहले खोया हो. ज़िंदगी के दर्द मे कोई अजनबी हमारा नही होता, अगर दिल प्यासा हो तो पानी से गुज़ारा नही होता. जब भी कोई देखे हमारी ये बेबसी, हम सबके हो जाते हे दुनिया मे, पर कोई हमारा नही होता. जिनकी हसरत थी उनका प्यार ना मिला, जिनका बरसो इंतेज़ार किया उनका साथ ना मिला, अजीब खेल होते हे ये मोहब्बत के, किसी को हम ना मिले और कोई हमे ना मिला. ज़िंदगी की आप क्या बाते करते हो, यहा तो हमारी मौत भी हमसे नाराज़ हे, हम ताज महाल क्यू बनवाए, यहा तो मेरी मुमताज़ ही एक बेवफा हे. मौत चाहते हे तो ज़िंदगी नाराज़ हो जाती हे, ज़हेर लेना चाहे तो वो दावा बन जाता हे, अब तू बता दोस्त हम क्या करे, जिनको भी चाहे वो बेवफा हो जाते हे. हर दिन हर पल मेरी साँसे ख़तम हो रही हे, मेरा जीवन मौत की दहलीज़ पे सो रहा हे, वो बेवफा से जाके मत पूछो मेरी मौत की वजह, वो तो सिर्फ़ दुनियावालो को दिखाने के लिए रो रही हे. जब मजबूरी मे कोई जुदा होता हे, तब ज़रूरी नही की वो बेवफा होता हे, आपकी आँखो मे आँसू ओ को देखकर, चुप के से वो कही तुमसे ज़्यादा रोता हे. हँसी कि राह् में गम मिलें तो क्या करे, वफ़ा के नाम पर बेवफ़ा मिलें तो क्या करे. कैसे बचे ज़िंदगी में धोके बाजो से, कोई हँस के धोखा दे तो हम क्या करे. मोहब्बत करके देखि तो मोहब्बत को पहचान लिया, वफ़ा सिर्फ नाम कि बात हे ये सिर्फ बेवफाई का फ़साना हे. तेरे होने पर भी खुद को तनहा समझूँ में बेवफा हु के तुजे बेवफा समझूँ तेरी बेरुखी से वक़्त तो गुज़र गया हें मेरा यह खुद्दारी हें तेरी या तेरी अदा समझूँ तेरे बाद क्या हाल हुआ हें मेरा ये तेरी इनायत हें या समझूँ ज़ख़्म देती हो और मरहम भी लगाती हो यह तेरी आदत हें या तेरी अदा समझूँ आज आचनक तेरी याद ने हमको रुला दिया, क्या करे जो तुम ने मुजको भुला दिया, ना करते आपसे वफ़ा और ना मिलते ये सज़ा, मेरी हे वफ़ा ने तुज़े बेवफा बना दिया. बेवफ़ा कहने से क्या वो बेवफ़ा हो जाएगा तेरे होते इस सिफ़त का दूसरा हो जाएगा मोहब्बत करे तो लगता हे जैसे, मौत से भी बड़ी ये एक सज़ा हे जैसे, किस किस से शिकायत करे हम, जब अपनी हे तक़दीर हे बेवफा हो. जब से एक बेवफा का हमारे दिल मे बसेरा हो गया, दिल तो दिल था पर मेरा साया भी हमसे दूर हो गया. भरोसा था प्यार से रोशन होगी ज़िंदगी मेरी, उस बेवफा ने ऐसा धोखा दिया के ज़िंदगीभर अंधेरा हो गया. तेरे होने पर भी खुद को तनहा समझूँ में बेवफा हु के तुजे बेवफा समझूँ. तेरी बेरुखी से वक़्त तो गुज़र गया हें मेरा यह खुद्दारी हें तेरी या तेरी अदा समझूँ. तेरे बाद क्या हाल हुआ हें मेरा ये तेरी इनायत हें या समझूँ. ज़ख़्म देती हो और मरहम भी लगाती हो यह तेरी आदत हें या तेरी अदा समझूँ आपके प्यार ने दिया सुकून इतना, के आपके सिवा ना कोई प्यारा लगे, बेवफ़ाई करनी हे तो इस तरह से करना, के आपके बाद कोई बेवफा ना लगे. मोहब्बत करे तो लगता हे जैसे, मौत से भी बड़ी ये एक सज़ा हे जैसे, किस किस से शिकायत करे हम, जब अपनी हे तक़दीर बेवफा हो. वफ़ा का नाम ना लिया करो, वफ़ा दिल को दुखती हे, हमसे वफ़ा का नाम लेते हे, एक बेवफा की याद आती हे. मोहब्बत करने वालो मे भी अक्सर ये सिला देखा हे, जिन्हे अपनी वफ़ा पे नाज़ था, उन्हे भी बेवफा देखा हे. सोचती हू इन सागर की लहरो को देखकर, क्यो वो किनारे से टकरा कर लौट जाती है, करती है ये किनारे से बेवफ़ाई, या सागर से वफ़ा निभाती है. निकलके उन्ही के दिल से हम महफ़िल मे आ बैठे हे, हमारी मुश्किल ये हे की बड़ी मुश्किल मे आ गये हे, लड़खड़ाने लगे हे पैर उनकी बेवफ़ाई की चोट से, पर लोग काहेते हे पी के सारी महफ़िल मे आ गये हे. आरजू थी की तेरी बाँहो मे, दम निकले, लेकिन बेवफा तुम नही,बदनसीब हम निकले. इश्क के इस दाग का एक बेवफा से रिश्ता है इस दुनिया में सदियों से आशिक का ये किस्सा है दर्दे-दिल की आग को कोई सागर क्या बुझाएगा दिलजला तो मौत के पहलू में जाकर ही बुझता है . बेवफा वो नही शायद हम ही खराब थे, ज़हर की ज़रूरत नही हम मर जाएँगे शराब से. कांटो का दर्द तो हमे महसूस ही नही हुआ, शायद बेपनाह प्यार था हमे उस नाज़ुक गुलाब से. पत्थर की पूजा कर बैठे हम अनजान थे, तुम्हारी हर आदत और बेवफ़ाई से नादान थे, तुम्ही ने बना दिया है हमे बेजान मूर्ति, वरना हम भी पहले किसी महफ़िल की जान थे.. नही है हमको किसी से गीला इस बेवफा जमाने मे किसी ने दोस्ती छोडी , किस ने दिल तोड़ा किसी ने वादे तोड़े और किसी ने तनहा छोड़ा !!! नही है हमको किसी से गीला इस बेवफा जमाने मे किसी ने दोस्ती छोडी , किस ने दिल तोड़ा किसी ने वादे तोड़े और किसी ने तनहा छोड़ा !!! सितारो को रोशनी की क्या ज़रूरत, ये तो खुद को जला लेते हे, आशिक़ो को वफ़ा की क्या ज़रूरत, वो तो बेवफा को भी प्यार कर लेते हे हमने अपनी सांसो पर उनका नाम लिख लिया.. नही जानते थे की हमने कुछ ग़लत किया.. वो प्यार का वादा हमसे करके मुकर गये.. खैर उनकी बेवफ़ाई से कुछ तो सबक लिया..!! तुमसे क्या शिकवा दोस्त बेवफ़ाई का. जब मुझसे मेरा नसीब ही रूठ गया. सच तो ये है दोस्त मे तो वो खिलोना हू. जो बदनसीब खेल ही खेल मे टूट गया..... मिले हज़ारों हमें, एक नया इल्ज़ाम सही गमो के समुंदर में गम का इनाम सही किसीने पागल कहा, किसी ने कहा दीवाना बेवफा जो नाम दिया, अब तो यही नाम सही ये कभी ना सोचा था तुमसे हमारी जूदा होगी तुमसे दिल लगाने की सज़ा तुम मुझे ऐसे दोगी हम तो आपकी वफ़ा पे ज़िंदा थे ये ना सोचा था कभी तुम सब से बड़ी बेवफा होगी उस बेवफा ने मुझे प्यार करके भी छोड़ दिया, मुझे अकेला कर तन्हाइयों से नाता मेरा जोड़ दिया, जब आई मौत अपनी तो उससे रहा ना गया, आया वो लाश पर मेरी ओर मुझे बिना जलाए ही छोड़ दिया जिसके ख़ुशी के खातिर हमने अपनोसे रिश्ता तोड़ दिया वो बेवफा अपने नए रिश्तो के खातिर हमसे ही मुँह मोड़ लिया . वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना वो नादान है यारो अपना हाथ जला लेगी. गम के संजोके अच्छे लगते है, मुझे उमर भर के रोग अच्छे लगते हैं ना कर मुझ से वफ़ा की बाते मुझे बेवफा लोग अच्छे लगते हैं क्या विश्वास नही तुम्हे हमारे विश्वास पे आज तुम फिर से ज़रा मेरी बातों पे एतबार तो करो l यूँ ना कहो मुझे बेवफा, मैं बेवफा नही हूँ तुम मेरी वफ़ा को ज़रा समझने की कोशिश तो करो l वो सोचती है की क्या हुवा वो रिश्ता, क्यूँ टूट गया, मानती है हूमें बेवफा और याद मे हमारी रोती है, कभि इजहार किया नही मोहब्बत का उसने हमसे, मगर सीने से लगाके हमारी तस्वीर वो हर रात सोती है . कैसे समाजौ मैं अपने इस नादान दिल को जो उससे भूल कर भी भूलना नही चाहता तड़प्ता रहता है उस बेवफा की याद में जो उससे खो कर भी दूर होना नही चाहता आंसूओ तले मेरे सारे अरमान बह गये जिनसे उमीद लगाए थे वही बेवफा हो गये, थी हूमे जिन चिरागो से उजाले की चाह वो चिराग ना जाने किन अंधेरो में खो गये . साए को भी गवारा नही साथ अपने जिस्म का, बोझ आज साए से उतार जाने दो. हम याद रखेंगे वफ़ा का हर सबक, उनको बेवफ़ाई कर के भूल जाने दो. मुझे डर है लोग बेवफा ना कह दें तुझे, मेरी मोहब्बत की दास्तान सबको सुनाती क्यूँ हो, लोग समझ ना लें मेरा कातिल तुझको, मेरा हाले दिल सबको सुनती क्यूँ हो.. वो बेवफा है उस वक़्त ये एहसास ना दिलाना उसको .
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